कोई वकील दूसरे को रोक नहीं सकता, गौरव भाटिया से बदसलूकी पर SC सख्त, UP सरकार को नोटिस
नोएडा के सूरजपुर की जिला अदालत में सीनियर अधिवक्ता गौरव भाटिया से बदसलूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। जिला अदालत के परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है। अदालत ने पूछा है कि आखिर कैमरों का मेंटनेंस क्यों नहीं कराया गया। गौरव भाटिया वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और भाजपा के प्रवक्ता भी हैं। वह मार्च में एक केस की पैरवी के लिए जिला अदालत पहुंचे थे। उन्हें देखकर स्थानीय वकील भड़क गए थे और उनसे धक्का-मुक्की करने लगे थे। इस दौरान उनका बैंड भी छीन लिया गया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेपी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि अदालत में सीसीटीवी कैमरे काम ही नहीं कर रहे थे। उन्हें ठीक कराने के लिए लगातार पत्र लिखे गए, लेकिन उन्हें सुधारा नहीं गया। दरअसल गौरव भाटिया से बदसलूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत प्रशासन को आदेश दिया था कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरों को सुरक्षित रखा जाए। अब जानकारी मिली है कि सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल सकती क्योंकि वह लगे कैमरे ही खराब थे। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस मामले को हल्के में नहीं लेंगे।
खुद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस मसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले को हल्के में नहीं लेंगे। कोई भी वकील दूसरे अधिवक्ता को इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता कि वह मामले की पैरवी न करे और अदालत से चला जाए।’ यही नहीं इस दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अदीश अग्रवाला ने कहा कि बार एसोसिएशन का कोई नेता भी वकीलों को हड़ताल के लिए मजबूर नहीं कर सकता। हालांकि उन्होंने कहा कि वकीलों को यह अधिकार है कि वह अदालत से मांग करेंगे कि हड़ताल की मंजूरी दी जाए।
बार एसोसिएशन के चीफ ने कहा कि कोई नेता भी ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन अदालत से आग्रह जरूर किया जा सकता है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा नहीं है। कोई भी वकील दूसरे अधिवक्ता से यह नहीं कह सकता कि हम आपको आने ही नहीं देंगे। दरअसल 21 मार्च को ग्रेटर नोएडा स्थित जिला अस्पताल में वकीलों ने हड़ताल की थी। इस बीच गौरव भाटिया और एडवोकेट मुस्कान गुप्ता एक केस की पैरवी के लिए पहुंचे थे। इस दौरान वकीलों ने हंगामा कर दिया और उनसे बदसलूकी की गई।