हर जिले का दौरा कर रहे रावत, जनता की नब्ज टटोलने में जुटे
पूर्व सीएम हरीश रावत ने 2027 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। इसके बावजूद वह कुमाऊं में लगातार सक्रिय हैं। लगभग हर जिले में जा रहे हैं। प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए पार्टी के भीतर और जनता की नब्ज टटोल रहे हैं। मंदिरों में जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। अमर उजाला की टीम ने उनका इंटरव्यू किया, जिसमें वह भूत, वर्तमान और भविष्य की रणनीति के बारे में खुलकर बोले। रावत ने कहा कि 2022 में चुनाव लड़ना मेरे जीवन की सबसे बड़ी सियासी चूक है। पढ़िए पूरा इंटरव्यू..
प्रश्न : आपने चुनाव नहीं लड़ने का एलान क्यों किया? इसके पीछे की राजनीति क्या है?
जवाब : बहुत सीधी सी राजनीति है। बहुत चुनाव लड़ लिए। कांग्रेस के पास इस समय दो प्रकार के प्रचारकों की कमी है। एक जो पूरे प्रदेश में समन्वय स्थापित कर प्रचार को गति दे सकें। दूसरा राष्ट्रीय स्तर के जो स्टार प्रचारक उनकी ओर से बनाए गए, माहौल को गति दे सकें। यदि 2022 में चुनाव नहीं लड़ता तो कांग्रेस निश्चित तौर पर सत्ता में आती। मैं चाहता हूं कि 2027 में वह गलती न करूं। इसलिए मैंने ऑफर किया कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा।
जवाब : 2022 में मुझे चुनाव लड़ने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए था। ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चूक है। ये जानते हुए भी कि मैं हार जाऊंगा। मुझे लालकुआं में नॉमिनेशन फाइल नहीं करना चाहिए था। मुझे पार्टी के जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज की बात नहीं माननी चाहिए थी।
प्रश्न : प्रदेश में किस नेता में स्किल है जो कांग्रेस को सत्ता के दरवाजे तक पहुंचा सकता है?
जवाब : हमारे पास इस समय मजबूत बाजू हैं। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष तो हैं ही। प्रीतम सिंह, गणेश गोदियाल जी हैं। मैं उनको लेकर चतुर्भुज की बात करता हूं। मैं उसके बाद भी देखता हूं। इसी तरह दूसरी लाइन भी खड़ी है, जैसे हमारे डिप्टी लीडर है कापड़ी जी, वह तैयार हैं। प्रकाश जोशी, सुमित हृदयेश, उमा रावत और भी बहुत सारे हैं जो दिखा रहे हैं कि हम कर सकते हैं।
प्रश्न : एनडी तिवारी की सरकार के समय भी धरने पर बैठ जाते थे। विजय बहुगुणा की सरकार थी तब सियासी विरोध करते थे। आपकी सरकार थी तो कांग्रेस को एकजुट नहीं कर पाए और कांग्रेस में टूट हो गई।
जवाब : थोड़ा इसे पृष्ठभूमि से समझना पड़ेगा। 1990 में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भी हार गई और उत्तर प्रदेश में हम बुरी स्थिति में आ गए। पीएम नरसिम्हा राव उत्तराखंड को केंद्र शासित राज्य देने जा रहे थे तो नारायण दत्त तिवारी ने गोविंद बल्लभ पंत का उदाहरण देकर कहा, राज्य का बंटवारा मेरी लाश के ऊपर से होगा। उनका कहना था कि आज उत्तर प्रदेश का नेतृत्व भी समाप्त किया जा रहा है। नरसिम्हा राव जी जिस कागज को लाए थे डिक्लेयर करने के लिए, उसे वह जेब में वापस लेकर चले गए। उस समय पहली बार प्रधानमंत्री के खिलाफ नारे लगे। तब उस मीटिंग का आर्गनाइजर मैं ही था और मेरी गलती ये थी कि उसमें मैंने नारायण दत्त तिवारी, केसी पंत के अलावा कई अन्य लोगों को भी बुलाया था। यदि हम नहीं बुलाते तो शायद केंद्र शासित राज्य मिल गया होता। चीजें दूसरी दिशा की ओर मुड़ जातीं। तिवारी जी ने एक शब्द कहकर इसे दूसरी दिशा में मोड़ दिया। कांग्रेस बदनाम हो गई। उत्तराखंड लाओ नरसिम्हा को हटाओ के नारे लगते थे। ऐसे समय में नारायण दत्त तिवारी भी कांग्रेस छोड़कर चले गए। केसी पंत भी चले गए। पूरी लीडरशिप दूसरी ओर चली गई। राजेश पायलट, मोतीलाल बोरा, जितेंद्र प्रसाद जी आदि की मदद लेकर कांग्रेस को राज्य विरोधी से लेकर राज्य समर्थक तक ले गया।
प्रश्न : आप अभी कुमाऊं में सक्रिय हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर कई जगह विद्रोह के स्वर उठ रहे हैं।
जवाब : जून की तपती दोपहर में किसी को तो पानी की बूंदें डालनी पड़ती हैं। जो स्वर उस समय थे निकल गया गुस्सा, अब धीरे धीरे बदल जाएंगे। मैं यहां आया हूं, किसी को तो परिवार में भूमिका अदा करनी पड़ेगी। आप देखिएगा जो विद्रोह के स्वर कांग्रेस के लिए निकले थे, वह कांग्रेस के लिए एसेट के रूप में बदलेंगे। आप कुछ हमारा हुनर भी देखिए।
प्रश्न : करन माहरा के नेतृत्व में 2027 में कांग्रेस को सत्ता मिलेगी या पार्टी सत्ता से दूर रहेगी?
जवाब : आपके सवाल के दो हिस्से हैं। इसका जवाब तो मेरे पास नहीं है। दूसरी बात, जो आपने कहा कि 2027 में जीतेंगे मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि आज जो सरकार है वह झूठ, लूट और फूट पर आधारित है। उत्तराखंड देवभूमि है जो झूठ फरेब को माफ नहीं करती। देवता जोड़ते हैं तोड़ते नहीं हैं। भाजपा झूठ, लूट और फूट की पार्टी है। यह ज्यादा दिन तक सत्ता में नहीं रह सकती, जिसका 2027 में निश्चित रूप से पता चल जाएगा।
प्रश्न : राज्य सरकार लगातार यह कह रही है कि प्रदेश की डेमोग्राफी को नहीं बदलने देंगे।
जवाब : ये जो है… भाजपा के पास बताने के लिए कुछ है ही नहीं। अब 10 साल होने जा रहे हैं। क्या बताएंगे, कह देंगे कि हमने थूकने वाले को पकड़ लिया, थूक जिहाद चलाया, हमने लव जिहाद चलाया, क्या-क्या बताएंगे? उत्तराखंड में क्या बेरोजगारी की समस्या दूर हुई है? गरीबी दूर हुई, महिलाओं पर अत्याचार रुके, महंगाई घटी, क्या सड़कें ठीक हुई?। मैं आज भी आपके अमर उजाले के माध्यम से कह रहा हूं, 2014 से 2017 के बीच में इस राज्य के अंदर न्यूनतम संख्या में… सबसे न्यूनतम संख्या में बाहर से लोग आए। मुसलमान सबसे कम नाममात्र के आए। 2014 से 2017 के बीच जितने डेमोग्राफी चेंजेज हुए हैं ये जितने नदी, नाले, खाले आदि बने हैं या तो पहले के हैं या भाजपा के वाद के हैं। अकेले हल्द्वानी में 2017 के बाद कम से कम 5000 बाहरी लोग आए। आईटीआई, पॉलिटेक्निक बंद कर दिए गए। जब हमारे बच्चों के पास वह हुनर ही नहीं रहा। मैं कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड में जो डेमोग्राफी चेंज हुई है, उसके लिए केवल भाजपा दोषी है।
प्रश्न : 2027 के चुनाव के लिए बहुत कम समय रह गया है। कांग्रेस के पास इसकी क्या प्लानिंग है ?
जवाब : आईएम टेस्टिंग दी वाटर, मैं जो घूम रहा हूं, जैसे घर में बूढ़ा आदमी खांसता है, उसका ये मतलब होता है कि घर में कहीं चोर तो नहीं आया, बहू जगी है या नहीं, बेटा जागेगा या नहीं, इसके साथ मैं खांस भी रहा हूं और आईएम टेस्टिंग दी वाटर, जागकर भी देख रहा हूं। नब्ज क्या है? और कांग्रेस को आक्रामक रणनीति बनानी पड़ेगी। यदि कोई मुझसे ज्ञान लेना चाहे तो मैं उससे कहूंगा कि कुछ नहीं चाहिए, सिर्फ 50 फायरी स्पीकर चाहिए, जो प्रखर रूप से बोलने वाला हो। हां.. जो सिर्फ इन पर हमला कर सके, झूठ, लूट, फूट एक नैरेटिव मैंने तैयार कर दिया है। झूठ, लूट, फूट के दायरे में जो है आक्रामक रणनीति अपना कर इनको धकेला जा सकता है।
प्रश्न : आप जब सीएम थे, उस समय का कोई यादगार फैसला जिसे आप हमेशा याद करना चाहते हों?
जवाब : देश के इतिहास में आपदा ग्रस्त लोगों को कहीं भी सेल्फ असेसमेंट करके अपने नुकसान का अनुमान लगाने का अधिकार नहीं दिया और मेरे सामने ये था कि मुझे चारधाम यात्रा प्रारंभ करनी थी। मैंने वहां रोजगार करने वाले लोगों से कहा कि
आप अपना असेसमेंट खुद करेंगे, कितना डैमेज हुआ और उसकी जानकारी मुझे दीजिए, मैं उसके आधार पर डैमेज पूर्ति करूंगा। वह हमने करके दिखाया।
प्रश्न : पिछले चुनाव में मुस्लिम विश्वविद्यालय बड़ा मुद्दा उठा था। आपके मन में अभी भी टीस है?
जवाब : गोल्ज्यू पर लाखों लोगों की आस्था है। मैं हर मंदिर में जा रहा हूं। आप आंखों का थोड़ा हेरफेर कर सकते हैं। अपनी उपलब्धि किसी को बता सकते हैं लेकिन किसी पार्टी और किसी व्यक्ति पर आप झूठ नहीं थोप सकते। प्रचार-प्रसार के संसाधनों का दुरुपयोग करके कि उन्होंने कह दिया हम सत्ता में आएंगे और मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएंगे। इसलिए मैंने कहा कि पहले मेरा बयान दिखाओ या किसी पंजीकृत समाचार पत्र या किसी चैनल में दिखा दो। इसके लिए मैंने पचास हजार रुपये का इनाम घोषित किया, फिर एक लाख रुपये का, इसके बाद पांच लाख, दस लाख और अब मैंने कहा कि मैं अपनी पूरी जमीन तुम्हारे नाम कर दूंगा लेकिन कोई सबूत लाए तो सही। जब वह नहीं दिखा पा रहे तो क्या मैं उनके पीछे लट्ठ लेकर दौडूं, इसलिए मैं गोल्ज्यू की शरण में गया और कहा कि तुम्ही न्याय करो।
प्रश्न : हरक सिंह रावत ने कहा कि 2022 का चुनाव कांग्रेस आपकी वजह से हारी। आप अपनी सीट तक सीमित रहे।
जवाब : यदि इसकी वह व्याख्या कर देते तो ज्यादा ठीक होता, मगर राजनीति में ऐसी बातों को अनुमान लगाने के लिए छोड़ दिया जाता है। ये सत्य है कि यदि मैं चुनाव नहीं लड़ा होता तो कांग्रेस को फायदा होता।