ग्राम पंचायतों में लोकतंत्र की नई मिसाल, बिना चुनाव संघर्ष के हुआ चयन
प्रतापनगर में 25 ग्राम पंचायतों ने निर्विरोध चुने ग्राम प्रधान
बता दें इन 25 ग्राम पंचायतों ने राजनीतिक खींचतान से ऊपर उठकर आपसी सहमति से नेतृत्व चुना. यही नहीं 40 क्षेत्र पंचायत सदस्यों में से शुक्री, पनसूत क्षेत्र से एक क्षेत्र पंचायत सदस्य भी निर्विरोध निर्वाचित हुआ है. निर्विरोध प्रधानों की सूची में सबसे आगे भटूरा पट्टी रही, जहां 9 ग्राम पंचायतों ने सहमति से अपने प्रधान चुने. इनमें ग्राम पंचायत आबकी, खट्टा, लिखवारगांव, तिनवालगांव, कोटलगांव, सौड़, रोडिया, सुजड़गांव और चामासौड़ शामिल हैं.
उपली रमोली पट्टी की भी भागीदारी सराहनीय रही. यहां की नई बनी ग्राम पंचायत उपला कंडियालगांव समेत पंढरगांव, बैलडोगी, हेरवालगांव, गरवानगांव, ओनलगांव, सिलोडा और खुर्मूला ने निर्विरोध प्रधान चुने. वहीं प्रतापनगर की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतों में शुमार ओण पट्टी के माजफ, पनसूत और शुक्री गांवों ने भी बिना चुनावी खींचतान के अपने-अपने ग्राम प्रधान निर्विरोध निर्वाचित किए.चौथे स्थान पर रही रैका पट्टी, जहां झिवाली, जानगी और सेम घंड्यालगी ग्राम पंचायतों ने निर्विरोध प्रधान चुने. वहीं, पांचवें स्थान पर रौनद रमोली पट्टी रही, जिसमें पिपलोगी और पुजारगांव गांवों में भी चुनाव की जरूरत नहीं पड़ी.
अन्य 76 पंचायतों में चुनावी घमासान जारी
हालांकि 25 ग्राम पंचायतों में निर्विरोध निर्वाचन ने लोकतंत्र की शालीन तस्वीर पेश की है, लेकिन बाकी 76 ग्राम पंचायतों में अब भी प्रधान पद के लिए मुकाबला जोर पकड़ चुका है. इसके अलावा 40 में से 39 क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों पर भी मुकाबला जारी है.