उत्तर प्रदेश में 781 लघु सेतुओं के निर्माण से परिवहन और यातायात को मिलेगी गति, 1,443 करोड़ रुपये की परियोजना

लखनऊ:-  उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में लोगों की राह आसान करने के लिए 781 लघु सेतुओं का निर्माण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद लोक निर्माण विभाग ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन की सिफारिश पर लघु सेतुओं के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है। इनके निर्माण पर 1,443 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। लोक निर्माण विभाग ने इसकी कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया है।

लोक निर्माण विभाग ने बीते माह वर्ष 2024-25 की कार्ययोजना तैयार की थी। विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री ने कार्ययोजना वापस कर विभाग को निर्देश दिए थे कि लघु सेतुओं के निर्माण से पहले स्थानीय विधायकों, सांसदों व अन्य जनप्रतिनिधियों तथा जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगे जाएं, कि संबंधित क्षेत्रों में कितने लघु सेतुओं के निर्माण की जरूरत है।

लोक निर्माण विभाग ने कार्ययोजना वापस आने के बाद नए सिरे से स्थानीय जन प्रतिनिधियों व जिला प्रशासन से प्रस्ताव लेकर 781 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार कर ली है। छोटी नदियों, नहरों व नालों पर बनने वाले इन लघु सेतुओं की लंबाई छह से 60 मीटर के बीच होगी।

लखनऊ जोन में किया जाएगा सर्वाधिक 82 लघु सेतुओं का निर्माण

नई कार्ययोजना के अनुसार सर्वाधिक 82 लघु सेतुओं का निर्माण लखनऊ जोन में किया जाएगा। इसके अलावा इसके अनुसार अयोध्या जोन में 66, गोरखपुर जोन में 64, प्रयागराज जोन में 59, आगरा जोन में 25, अलीगढ़ जोन में 34, आजमगढ़ जोन में 32, बांदा जोन में 24, बरेली जोन में 47, बस्ती जोन में 33, गोंडा जोन में 57, झांसी जोन में 24, कानपुर जोन में 48, मेरठ जोन में 47, मीरजापुर जोन में 32, मुरादाबाद जोन में 36, सहारनपुर जोन में 26 व वाराणसी जोन में 45 लघु सेतुओं का निर्माण किया जाएगा।

मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद 739 करोड़ रुपये की हुई बचत

लोक निर्माण विभाग ने पहले 1,517 लघु सेतुओं के निर्माण के प्रस्ताव को कार्ययोजना में शामिल किया था। इनके निर्माण पर 2,182 रुपये के खर्च का प्रस्ताव तैयार किया गया था। अक्टूबर माह में मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में जन प्रतिनिधियों से प्रस्ताव लेने के निर्देश के बाद 739 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 736 लघु सेतुओं के निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली है।

जन प्रतिनिधियों ने 736 लघु सेतुओं के निर्माण की जरूरत नहीं बताई है, जबकि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बंदरबांट के लिए इन्हें भी कार्ययोजना में शामिल कर लिया था।

 

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