मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा- आपदा प्रबंधन में कोई कमी न हो

CS ने 24 घंटे अलर्ट रहने की दी हिदायत

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि आपदा पूर्व तैयारी जितनी अहम है, उतना ही जरूरी है त्वरित रिस्पांस टाइम. उन्होंने कहा कि कोई भी विभाग लापरवाही न बरते और जहां भी काम अधूरे हैं, उन्हें तय समयसीमा में पूरा कर लिया जाए. उन्होंने चारधाम यात्रा और लगातार हो रही बारिश को देखते हुए 24 घंटे अलर्ट रहने की सख्त हिदायत दी. बढ़ते जलभराव और बाढ़ की आशंका को देखते हुए सीएस ने हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चंपावत जिलों में मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या रहती है, वहां राहत कार्यों की प्रैक्टिस पहले से कर ली जाए ताकि आपात स्थिति में टीमों को कोई परेशानी न हो

हर जिले को मिलेंगे एक-एक करोड़

बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य आपदा मोचन निधि और अन्य मदों से राहत व पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 162 करोड़ रुपये की धनराशि पहले ही जनपदों को जारी की जा चुकी है. साथ ही हर जिले को तैयारी और क्षमता विकास के लिए एक-एक करोड़ रुपये देने की प्रक्रिया चल रही है. मुख्य सचिव ने मानसून के दौरान बाढ़ की प्रमुख वजह नदियों में सिल्ट जमा होने की समस्या पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में नदियों की डिसिल्टिंग कराना बेहद आवश्यक है. इसमें आ रही दिक्कतों को शासन से वार्ता कर हल किया जाए.

धन का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं : CS

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा की स्थिति में आमजन को तत्काल सहायता दी जाए. इसके लिए पंचायत स्तर पर सर्वे टीम गठित की जाए, पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाई जाए और जरूरत के हिसाब से एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई जाए. मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने ने साफ कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है. लेकिन यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी पैसा बर्बाद या गलत दिशा में इस्तेमाल न हो.

CS ने बैठक में किए ये दिशा-निर्देश जारी

  • बाढ़ संभावित इलाकों का चिन्हीकरण और वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना.
  • राहत शिविरों की व्यवस्था और उसमें भोजन, चिकित्सा की सुविधा.
  • पशुओं के लिए सुरक्षित स्थान, चारा और उपचार की व्यवस्था.
  • वैकल्पिक मार्गों के लिए बैली ब्रिज और जेसीबी मशीनों की उपलब्धता.
  • खाद्यान्न, ईंधन और जरूरी वस्तुओं का भंडारण.
  • गर्भवती महिलाओं का डाटा और उनके लिए अस्पतालों की सूची.
  • जलजनित बीमारियों के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक.
  • बिजली और जलापूर्ति बाधित होने की स्थिति में वैकल्पिक संसाधनों का भंडारण.
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