लाइमस्टोन से बनी तोता घाटी की कमजोर भू-संरचना बनी बड़ी चुनौती

तोता घाटी क्यों है चिंता का विषय ?

तोता घाटी वही मार्ग है जो सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है और जिस पर गढ़वाल की धार्मिक, पर्यटक और दैनिक आवाजाही निर्भर करती है। अगर यह मार्ग बंद होता है, तो कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं है। तोता घाटी, NH-07 पर ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच लगभग 75-80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह इलाका अपनी लाइमस्टोन के लिए जाना जाता है। जो हिमालय की सबसे कमजोर भू-संरचनाओं में से एक मानी जाती है।

तोताघाटी में देखे गए कई बड़े-बड़े फ्रैक्चर और दरारें

जानकारी के अनुसार वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट का कहना है कि हाल ही में इस क्षेत्र में कई बड़े-बड़े फ्रैक्चर और दरारें देखी गई हैं, जिनमें से कुछ तो ढाई से तीन फीट तक चौड़ी हैं। उनका कहना है कि इन दरारों की गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन ये सैकड़ों मीटर तक गहरी हैं और पूरा पहाड़ चीरती हुई अनंत गहराई में जा रही हैं।

दरारें गहराई तो क्या होगा?

भू-वैज्ञानिक महेंद्र प्रताप सिंह ने चेताया कि यदि ये दरारें समय रहते नियंत्रित नहीं हुई तो पूरा पहाड़ी हिस्सा टूटकर नीचे गिर सकता है, जिससे हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप हो जाएगा। इतना ही नहीं, यदि रॉक फॉल हुआ तो पूरा पर्वतीय मलबा गंगा में समा सकता है, जिससे न केवल मार्ग बाधित होगा, बल्कि पर्यावरण और जलप्रवाह पर भी गंभीर असर पड़ेगा।

कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं

प्रताप सिंह ने इस खतरे को लेकर मुख्य सचिव आनंद वर्धन को भी सूचित किया है। उन्होंने कहा है कि, तोता घाटी में कोई वैकल्पिक मार्ग मौजूद नहीं है। हमें जल्द से जल्द यहां एक सुरक्षित और स्थायी वैकल्पिक मार्ग की योजना बनानी चाहिए। वैज्ञानिकों की चेतावनी के बाद अब लोक निर्माण विभाग भी तोता घाटी को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने लगा है।

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