रिस्पना नदी में बाढ़ के खतरे को लेकर एनजीटी की पहल, अवैध निर्माण को हटाने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की योजना
देहरादून:- रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद अस्तित्व में आए निर्माण को अवैध मानकर हटाने की कार्रवाई तो की गई, लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों घर अब भी खतरे की जद में हैं। एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना के फ्लड प्लेन जोन निर्धारित करने को लेकर कसरत अब तेज हो गई है। सर्वे पूरा होने के बाद रिस्पना के किनारे चिह्नित फ्लड जोन का नक्शा तैयार किया जा रहा है। जिसके बाद बाढ़ आशंकित क्षेत्र में बने घरों पर लाल निशान लगाने की तैयारी है। एनजीटी ने फ्लड जोन में किए गए निर्माण को हर हाल में तोड़ने के निर्देश दिए हैं और वहां बसे परिवारों के पुनर्वास को कहा है। ऐसे में दो माह के भीतर यह बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
बीते जुलाई में सिंचाई विभाग की टीम ने एनजीटी के निर्देश पर अगले 25 वर्ष और 100 वर्ष की संभावनाओं के आधार रिस्पना नदी के फ्लड प्लेन जोन का सर्वे किया। नदी के दोनों किनारों पर 50 से 100 मीटर तक की दूरी को अत्यधिक संवेदनशील मानते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई। बाला सुंदरी मंदिर के बाद काठबंगला बस्ती से लेकर मोथरोवाला और दौड़वाला नौका तक रिस्पना के ऐसे स्थल चिह्नित किए गए, जहां नदी के मूल स्वरूप में अधिक बदलाव आया है और भविष्य में भीषण बाढ़ की आशंका है। इसी को ध्यान में रखकर सर्वे रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष रख दी गई। साथ ही जिला प्रशासन को भी उपलब्ध करा दी गई।
24 जुलाई को एनजीटी में हुई सुनवाई के दौरान रिस्पना के फ्लड प्लेन जोन में स्थित निर्माण को चिह्नित कर धवस्त करने और बस्तियों के निवासियों का पुनर्वास करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए गए। अब सिंचाई विभाग की ओर से फ्लड प्लेन जोन की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नक्शा तैयार किया जा रहा है। जिसके आधार पर फ्लड जोन में स्थित निर्माण पर लाल निशान लगाए जाएंगे।
रिस्पना नदी पर बसी 27 बस्तियों में सैकड़ों घर फ्लड जोन की जद में आ रहे हैं। ऐसे में सितंबर अंत तक इस दिशा में ठोस कार्रवाई की उम्मीद है। सिंचाई विभाग की रुड़की रिसर्च विंग ने रिस्पना नदी के दोनों किनारों पर फ्लड जोन का सर्वे कर 50-100 मीटर पर निशान लगाए हैं। टीम ने शिखर फाल से लेकर मोथरोवाला दूधली रोड तक फ्लड जोन चिह्नित किए। नदी में करीब 26 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में आगामी 25 वर्ष और 100 वर्ष तक बाढ़ की संभावना को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई। नदी के किनारों पर ऐसे सैकड़ों प्वाइंट बनाए गए हैं, जिन पर बाढ़ का खतरा है। बिंदाल नदी का भी मालसी से लेकर डकोटा तक फ्लड जोन निर्धारण किया गया। दोनों नदी के किनारे बड़ी संख्या में फ्लड जोन में अतिक्रमण कर निर्माण किया गया है। वर्षा के दौरान बड़ी आपदा के खतरे को देखते हुए अतिक्रमण हटाकर संबंधितों को पुनर्वास किया जाएगा।
कंडोली, चीड़ोंवाली खाला, मोहिनी रोड पुल, बलवीर रोड पुल, चूना भट्ठा, अधोईवाला, दीपनगर, रामनगर, ऋषिनगर, वाणी विहार, भगत सिंह कालोनी आदि क्षेत्रों में भविष्य में भीषण बाढ़ का खतरा सर्वाधिक है। शिखर फाल से शुरू होकर दूधली तक जा रही रिस्पना नदी में कुल 27 बस्तियां हैं, जिनमें से कुछ बस्तियों में बेतहाशा अतिक्रमण के कारण नदी की चौड़ाई काफी घट गई है।
रिस्पना नदी के फ्लड प्लेन जोन का सर्वे जुलाई में पूर्ण हो चुका है। जिसमें नदी के दोनों किनारों पर अगले कई वर्षों तक की संभावनाओं को देखते हुए बाढ़ क्षेत्र निर्धारित किया गया। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भी सौंप दी गई है। अब फ्लड प्लेन जोन का नक्शा तैयार किया जा रहा है। जिसके बाद जोन के अंतर्गत आने वाले निर्माण या अन्य भूमि को चिह्नित कर अग्रिम कार्रवाई की जा सकेगी। -राजेश लांबा, अधिशासी अधिकारी, नगर, सिंचाई विभाग