बारिश होगी या नहीं? कुछ लोग सूंघकर ही बता देंगे, वैज्ञानिकों ने बताया कैसे यह संभव
बारिश के बाद हवा में एक तरह की ताजी खुशबू फैल जाती है। इससे हम सभी परिचित हैं। हालांकि, अब एक रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया गया है। इससे पता चला कि कुछ लोग बारिश से पहले भी वैसी सुगंध का पता लगा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि जो व्यक्ति संभावित तूफान को भांपने का दावा करते हैं, वे सही हो सकते हैं। दरअसल, मौसम का मिजाज एक अनोखी सुगंध पैदा करता है। संघने की मजबूत क्षमता के जरिए इसे पहचाना जा सकता है। चलिए अब समझते है कि इसके पीछे का विज्ञान क्या है?
तेज बारिश के बाद जो सुखद सुगंध आती है, उसे पेट्रीचॉर कहा जाता है। 1960 के दशक में इसाबेल जॉय बियर और रिचर्ड ग्रेनफेल थॉमस नाम के 2 ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों हुआ करते थे। इन्होंने इस खुशबू का यह वैज्ञानिक नाम दिया था। पेट्रिचॉर 2 ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है। पहला है इचॉर, जो कि ग्रीक पौराणिक कथाओं में देवताओं की नसों में बहने वाले तरल को दर्शाता है। दूसरा है पेट्रोस, जिसका मतलब पत्थर होता है। यह पृथ्वी और हवा की परस्पर निर्भरता को बताता है जो बारिश के दौरान गंध के लिए जरूरी है।
बारिश के बाद कैसे मिट्टी में पैदा होती है गंध
वैज्ञानिक बताते हैं कि मिट्टी का जीवाणु ‘जियोस्मिन’ नाम का रसायन छोड़कर गंध पैदा करता है। जीवाणुओं से उत्पन्न होने वाली सुगंध का मकसद दूसरे प्राणियों को मिट्टी की ओर से खींचना होता है। यह स्थिति रोगाणुओं को नई जगहों पर फैलने में मदद करती है। जब बारिश की बूंदें जमीन पर गिरती हैं तो सपाट हो जाती हैं। इससे हवा के कण उसमें फंस जाते हैं, यही वजह है कि बारिश के बाद गंध पैदा होती है। इसके अलावा, ओजोन की खुशबू पेट्रीचॉर की तुलना में अलग होती है। ओजोन की गंध से तूफान आने का संकेत मिल सकता है। तूफान के दौरान बहने वाली हवाओं के कारण यह संभव है जो ओजोन गैस के भंडार को पृथ्वी की ओर धकेल रही होती है।